Monday, April 6, 2009

सफेद इन्द्राधनुष...

कितने दिनो से सोच रहीं हूँ की कुछ लिखूं...एक सपना जो एक रात को देखा था और जो मेरे ज़हन पे एक तस्वीर छोड़ गया...शायद अगर में कलाकार होती तो इस सपने को रेखाओं में खीच कर एक कॅन्वस में उत्तार देती... शायद शब्दों में वो सपना गुम ना हो जाए...कोशिश करती हूँ

मैनें देखा एक मिट्टी के मटकी रखी है...और उसमे इन्द्राधनुष के रंग भरे हैं...मैं उस मटकी के पास एक सफेद रंग की सारी पहने खड़ी हून...और मेने अपने सारी के पल्लू को उस मटकी में डोबोया...पल्लू मटकी से बाहर निकाला तो देखा की पल्लू अभी भी सफेद है...मैं परेशान होकर पल्लू ज़ोर से ज़टकने लगती हून और देखती हून कि रंगों की बूँदें पल्लू में से गिर रहीं हैं पर मेरी सारी का पल्लू अभी भी सफेद है...

3 comments:

manu-smruti said...

lovely, never knew you write so regularly... and so beautiful. felt good reading u.
keep writing - i will try and write back, now that i know where to reply.
nothing wrong in feeling sad, or down or depressed, its just that sometimes let yr blog breathe with happiness as well, whenever u feel it overtaking u.
blog could be a reflection of u, or could be a reflection of a side of u... u decide, am here to reply. love u loads...

Sujit Kumar Chakrabarti said...

That's quite a nice thought. I wonder what it's a metaphor for though! :) More than one thing flash in my mind.

blueboy said...

am sure Freud would have a twisted explanation for the dream. but, girl, what a wonderful way to describe it! write some more. what a brilliant concept but - safed indradhanush, wowie!