Monday, April 6, 2009

ज़िंदगी जी लेते बस...

कभी कभी लगता है
ज़िंदगी जी लेते बस
गर्म गर्म शाख पर
पत्ते पिरों लेते बस
ठंडी नीली ल़हेरॉं पर
चाँद सूखा लेते बस
कभी कभी लगता है
ज़िंदगी जी लेते बस...

2 comments:

Sujit Kumar Chakrabarti said...

Well written.
But you love Gulzar! ;)

Abhinav said...

thought provoking!
& beautiful.
lovely.