Kahini...a story
Thursday, August 20, 2009
मायाजाल ...
हर सपना देखा सा लगता है
हर आइना बिखरा सा लगता है
तेरी नज़र मेरी रूह पिघला रही है, और
हर लम्हा बेमानी सा लगता है
मैं जहाँ थी अभी भी वहीँ हूँ
हर कोई जो पास था
अब धुंधला सा लगता है...
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