Friday, May 29, 2009

रिश्ते...

हर रिश्ता चाँद से ट्पकी
सफ़ेद स्याही से लिखा लगता है...
या फिर लगता है जैसे
उथल पुथल मची हो एक गगरी में...
शायद एक कण में कायानत ढूँढने की कोशिश...
या साहिल की ओट में छुपी मृगतृष्णा...